Punajb: गिद्दड़बाहा उपचुनाव में करारी हार के बाद मनप्रीत बादल का बयान
Punajb: गिद्दड़बाहा उपचुनाव में मिली हार के बाद बीजेपी नेता मनप्रीत बादल ने रविवार सुबह अपने फेसबुक अकाउंट पर एक वीडियो साझा किया। इस वीडियो में उन्होंने कहा कि गिद्दड़बाहा चुनाव में वह कई सालों बाद चुनाव लड़ रहे थे, और सिर्फ दो महीने का वक्त पुराने रिश्तों को मजबूत करने के लिए पर्याप्त नहीं था, यही वजह थी कि वह जीत नहीं पाए। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अब वह अपनी अंतिम सांस तक गिद्दड़बाहा के लोगों के बीच रहेंगे और यहां के विकास के लिए काम करेंगे।
मनप्रीत बादल का दावा: ‘2027 में मैं गिद्दड़बाहा से जीतूंगा’
मनप्रीत बादल ने दावा किया कि 2027 में बीजेपी राज्य में सरकार बनाएगी और वह फिर से गिद्दड़बाहा से चुनाव जीतेंगे। उन्होंने नवनिर्वाचित विधायक हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों को बधाई दी और उन्हें इलाके के लोगों से किए गए वादों को पूरा करने की अपील की। मनप्रीत बादल ने कहा कि कुछ उनके सहकर्मियों ने पहले ही कहा था कि वे 2027 में उनका साथ देंगे, लेकिन इस बार उनका उद्देश्य राजा वड़िंग के घमंड को तोड़ना था, इसलिए डिंपी को वोट दिया गया।
मनप्रीत बादल का राजा वड़िंग पर हमला
राजा वड़िंग पर टिप्पणी करते हुए मनप्रीत बादल ने कहा कि राजा ने अपनी राजनीति को बादल परिवार के खिलाफ बयानबाजी करके चमकाया। बावजूद इसके, वह अपनी पत्नी की हार को नहीं टाल सके। मनप्रीत ने यह भी कहा कि राजा वड़िंग ने गिद्दड़बाहा के लोगों के लिए कुछ नहीं किया, बल्कि सिर्फ अपनी संपत्ति बढ़ाई। उन्होंने यह दावा किया कि 71,000 लोगों ने डिंपी को चुना है, और जनता का चयन कभी गलत नहीं हो सकता। मनप्रीत बादल ने कहा कि राजा वड़िंग का घमंड इस चुनाव में हार गया।
गिद्दड़बाहा में AAP की जीत
गिद्दड़बाहा सीट पर आम आदमी पार्टी (AAP) की जीत हुई है। AAP के उम्मीदवार हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों को 71,198 वोट मिले, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार अमृता वड़िंग को 49,397 वोट मिले। बीजेपी के उम्मीदवार मनप्रीत बादल को 12,174 वोट मिले। इस तरह डिंपी ढिल्लों ने 21,901 वोटों से जीत दर्ज की। यही कारण था कि मनप्रीत बादल को हार का सामना करना पड़ा।
मनप्रीत बादल का गिद्दड़बाहा से पुराना संबंध
मनप्रीत बादल गिद्दड़बाहा से चार बार विधायक रह चुके हैं, जब वह शिरोमणि अकाली दल (SAD) में थे। उन्होंने 2012 में अपनी पीपीपी पार्टी से गिद्दड़बाहा से चुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग से हार गए थे। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस जॉइन की और 2017 में बठिंडा शहरी से चुनाव जीतने में सफलता प्राप्त की।
बीजेपी और मनप्रीत बादल की उम्मीदें और हार का कारण
बीजेपी और मनप्रीत बादल ने उम्मीद जताई थी कि वे गिद्दड़बाहा के लोगों का समर्थन फिर से हासिल कर लेंगे, जैसा पहले था। लेकिन गिद्दड़बाहा से वर्षों तक दूर रहने के बाद मनप्रीत को इस बार पूरी तरह से लोगों ने नकार दिया। उनकी हार के प्रमुख कारणों में एक तो यह था कि वह चुनावी क्षेत्र से दूर थे और दूसरा बीजेपी का वोट बैंक गांवों में बहुत कमजोर था। यही वजह है कि गिद्दड़बाहा की जनता ने उन्हें नकारा।
गिद्दड़बाहा की जनता ने दिखाया मोह और समर्थन
मनप्रीत बादल के लिए यह हार व्यक्तिगत और राजनीतिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है। उन्होंने माना कि उनका जनता से गहरा जुड़ाव और पुराने रिश्ते उस समय में मजबूत नहीं हो पाए, जब उन्हें गिद्दड़बाहा में वापसी करनी पड़ी। जनता ने अपने वोट से यह स्पष्ट कर दिया कि गिद्दड़बाहा के लोग किसी भी तरह के पुराने वादों या रिश्तों से नहीं, बल्कि अपने वर्तमान के आधार पर अपना निर्णय लेते हैं।
गिद्दड़बाहा के चुनाव परिणामों का राजनीतिक असर
गिद्दड़बाहा के चुनाव परिणामों ने यह साफ कर दिया कि प्रदेश में आम आदमी पार्टी की राजनीतिक पकड़ अब मजबूत हो चुकी है, और भाजपा तथा कांग्रेस के सामने चुनौती और बढ़ गई है। हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों की जीत ने आम आदमी पार्टी की नीति और विचारधारा को स्वीकारते हुए जनता ने अपना समर्थन दिया। जबकि कांग्रेस और बीजेपी को यह हार राजनीति में एक कड़ा संदेश दे रही है।
मनप्रीत बादल का भविष्य
मनप्रीत बादल ने यह स्पष्ट किया कि हार के बावजूद वह गिद्दड़बाहा में लोगों के बीच काम करेंगे और अपनी राजनीतिक यात्रा जारी रखेंगे। उन्होंने 2027 के चुनावों में अपनी वापसी का दावा किया है, जो यह दिखाता है कि वह हार के बावजूद निराश नहीं हैं।
गिद्दड़बाहा उपचुनाव में मिली हार के बावजूद मनप्रीत बादल ने हार मानने का नाम नहीं लिया। उनका यह कहना कि वह 2027 में गिद्दड़बाहा से जीतेंगे और बीजेपी सरकार बनाएगी, यह दर्शाता है कि वह राजनीतिक मैदान में अपनी मौजूदगी को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हालांकि, गिद्दड़बाहा की जनता का इस बार उनके प्रति असंतोष इस हार का मुख्य कारण बना है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में वह कितनी मजबूती से अपनी स्थिति को फिर से बनाए रखते हैं।